Tuesday, October 18, 2011

Mind and Outcome

हमारे मन में हमेशा दो धारा में विचार प्रक्रिया चलती रहती है - एक काम तो वह जो हम कर रहे होते है और दूसरा काम वह जो हमारे मन में चल रहा होता है | यह विचार प्रक्रिया निरंतर दो भागों में बँटी हुई चलती रहती है और इसी का परिणाम है कि हमारी उर्जा भी दो भागों में बँटी रहती है | इसीलिए इच्छित परिणाम नहीं प्राप्त होते है | हमें ऐसा लगता है कि हम काफी देर तक पढने पर भी हमें उतना याद नहीं रहता है | अपना काम समाप्त करने पर आनंद की अपेक्षा थकान का अनुभव होता है|

यदि यह विचार प्रक्रिया की धारा एक ही हो, जैसा कि कभी कभी अपनी रूचि का कार्य करते हुए होता है तो परिणाम भिन्न होंगे | चूँकि हमारा मन और तन एक दूसरे के प्रतिरूप है तो ऐसा करने के लिए हमें तन को भी पूरी तरह वर्तमान कार्य जो हम कर रहे है, उसी में लगाना होगा | जैसे कि खेल या नृत्य में होता है | पढ़ते वक़्त लिखने पर भी हम कुछ ऐसा कर पायेंगे |