Sunday, May 31, 2020

Lockdown 4.0 Day 14 May 31, 2020

आज है अंतिम चौदहवाँ दिनलॉकडाउन का चतुर्थ चरण,
प्रथम लॉकडाउन में पढ़ारामचरितमानस को,
द्वितीय में गीता की अद्भुत टीकासाधक संजीवनी को। 
तृतीय काउपयोग हुआभागवत पारायण में,
चतुर्थ कासोलह अक्षर महामंत्रके जप यज्ञ में।

नाम स्मरण कलियुग में सर्वोपरि साधन कहा जाता है,
प्रथम प्रयास में मन नहीं लगतास्थिर नहीं हो पाता है। 
लेकिन ध्यान रहे कि प्रयास व्यर्थ कभी नहीं जाता है,
अग्नि के पास आया पतंगाभाव कुछ भी होआख़िर जल जाता है। 

लॉकडाउन बहुत हुआअब अनलॉक का प्रथम चरण,
प्रातपाँच बजे से रात्रि नौ बजे तकबाहर रह सकेंगे जन। 
खुलेंगे होटलरेस्टोरेंटमाल और बाक़ी सभी,
कैसे रूकेगा कोरोनापकड़ेगा कभी  कभी। 
दो गज दूरी है ज़रूरीऔर चेहरे पर आवरण,
बिना डरपूरी सावधानीजीतें कोरोना से रण। 

Thursday, May 21, 2020

Lockdown 4.0 Day 4 May 21, 2020

आज है चौथा दिनलॉकडाउन का चतुर्थ चरण,
प्रथम लॉकडाउन में पढ़ारामचरितमानस को,
द्वितीय में गीता की अद्भुत टीकासाधक संजीवनी को। 
तृतीय काउपयोग हुआभागवत पारायण में,
चतुर्थ कासोलह अक्षर महामंत्रके जप यज्ञ में।

हरे राम हरे रामराम राम हरे हरे। 
हरे कृष्ण हरे कृष्णकृष्ण कृष्ण हरे हरे।
यह सोलह अक्षर महामंत्र इसकी सोलह माला,
जप हेतु एक सौ आठमणियों की माला। 
मैंने सोचा हैइस जप कोकरना है सोलह दिन,
क्योंकि संत तुलसीदास ने दिया है आश्वासन।
भाँयकुभाँयअनखआलसहूँ। 
नाम जपत मंगल दिसी दसहूँ।।

लॉकडाउन का कारण और तर्कअब किसी को समझ नहीं  रहा है?
गरीब मज़दूर की क़ुर्बानी का ग़मअब किसी को नहीं हो रहा है ?
अमफान तूफ़ान भीउड़ीसा  बंगाल मेंतबाही मचा गया,
कोरोना से ही दुखी थेये कंगाली में आटा गीला कर गया। 
अब सब खुल रहा हैपर व्यक्ति खुद डर रहा है,
चौवन दिन में ख़तरा बढ़ा कि घटासमझ नहीं  रहा है। 
छोड़ो अबबाक़ी सब व्यर्थ हुआबस इतना सीख लो,
दो गज दूरीहै ज़रूरीकोरोना के साथ रहना सीख लो। 

Sunday, May 17, 2020

Lockdown Diary Apr 24-May 17, 2020

1st Day
21 दिन !
हाँ 21 दिन ,
ऐसा लगता है,
शायद,
21 महीने पीछे चले जाएँगे ,
लेकिन यदि नहीं किया लॉक डाउन ,
तो हम,
21 साल पीछे चले जाएँगे।
इसलिए समझ लो कि,
देश के मुखिया ने सही निर्णय लिया है,
और करो सहयोग बड़-चढ़कर,
घर पर रह कर, कमजोर का सहयोग कर,
संसाधनों का समुचित उपयोग कर !
नहीं मिला था हमें मौक़ा,
आज़ादी की लड़ाई लड़ने का,
लो आज आया है मौक़ा,
21 दिन सहयोग करने का,
हो जाओ शांत, करो प्रार्थना, करो सहयोग,
करो प्रयास कि,
दूर रहे, हम सबसे कोरोना वायरस का रोग !

2nd Day
और देश में लॉक डाउन को सफल बनाने के लिए,
अभी तक हमारा पूरा नहीं प्रयास,
जनता और पुलिस का प्रशिक्षण करने का,
मीडिया भी नहीं कर रहा प्रयास !
यदि असफल रहा लॉक डाउन,
हम आर्थिक रूप से भी होंगे विफल,
चीन के नापाक इरादे हो जाएँगे,
फिर दुनिया में सफल !

हॉंगकॉंग का बदला चीन दुनिया से ले रहा,
वुहान से कोरोनावायरस बीजिंग नहीं,
लेकिन इटली और अमेरिका पहुँच रहा।
यदि यही रहा दुनिया का हाल,
और मौतें हुई दस लाख,
तीन साल में जब संभलेगा संक्रमण,
चीन में होगा, ख़ुद की ही धरती से आक्रमण ।

अभी तो बस इतना सोचो,
इस महामारी का विस्तार रोको,
अपने जीवन का करो अध्ययन,
न्यूनतम साधन से करो जीवनयापन ,
अगले तीन साल के लिए चिंतन करो,
परिवार व स्वयं को प्रथम रखो,
धन का अवमूल्यन यह सिखा रहा,
परिवार में प्रेम, स्नेह का पाठ पढ़ा रहा।

उत्साह में कमी जरा ना आए,
प्रार्थना, प्रेम और अनुशासन बढ़ता जाए,
विजयी हम होंगे निश्चित ही,
बेहतर मनुष्य बनेंगे 21 दिन में जी।

3rd Day
लॉक डाउन  की सफलता के लिए भी,
आवश्यक है जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति,
लेकिन इसके लिए मंडियाँ खोलनी होगी,
फल सब्ज़ी, धान एवं अनाज की!
वयस्था करनी होगी ट्रक से माल ढुलाई की,
इसी का परिणाम होगा, लॉकडाउन की विफलता भी !

चाहिए सामाजिक दूरी, सहयोग सभी NGO का,
अनुशासन व शिक्षण हो समाज के हर व्यक्ति का,
और कोई राह अभी है नहीं,
स्व-अनुशासन की हमारी प्रकृति नहीं ?
फिर क्या करें? सिवाय प्रतीक्षा के,
नहीं, घर पर बिठाने की अपेक्षा जनसहयोग लें!
हर व्यक्ति ज़िम्मेदारी ले, सामाजिक दूरी की,
काम करें भले कम, समझे वक्त की मजबूरी भी।

राज्य की सीमा पार ना करे कोई,
जाँच करो विदेश से आए व्यक्ति व परिवार की ,
चाहे लक्षण ना मिले कोई।
तापमान जाँच के लिए scanner लगायें हर जगह,
जैसे रखवाए थे dustbin, पहले हर जगह।
सभी संदिग्ध लोगों की निरंतर जाँच हो,
लॉक डाउन नहीं, दूरी का सम्मिलित प्रयास हो !

रहो निश्चिन्त, उत्साहित, करो सहयोग,
परमात्मा करेंगे कृपा, होगा दूर यह रोग !

4th Day
यह कैसा लॉकडाउन ?
हज़ारों प्रवासी मज़दूर कर रहे पलायन,
जाना चाहते हैं सभी अपने गृहनगर या गाँव को,
मरना ही है तो क्यों न अपने घर,
अपनों के बीच, जाकर मरें।
यहाँ जब काम नहीं, मज़दूरी नहीं,
अब रूकने का कोई लाभ नहीं।
हज़ार पंद्रह सौ किलोमीटर चल पाएँगे क्या ?
बच्चों के साथ , राह में चल रहे लंगर के सहारे!

मन में रहे उत्साह, परमात्मा के प्रति अगाध विश्वास,
हम सब होंगे कामयाब, और देंगे एक दूजे का साथ।

5th Day
लॉकडाउन से पीड़ा बढ़ गयी, गरीब मज़दूरों की,
यह बीमारी तो थी, विदेश घूमने वाले अमीरों की,
फ़ैक्टरी बंद हुई, कामगार दर बदर हुआ,
चल दिया घर को, अब कहीं का ना रहा।
एक बेचारा दो सौ किलोमीटर चल कर गिर गया,
सबने कहा, हृदयाघात से मर गया।
भूखे पेट वह चलता रहा दिल्ली से आगरा तक,
जब थका, अस्सी किमी शेष रहे तब तक।

कोरोनावायरस तो शायद जवान को बचा देता है,
भुखमरी, ग़रीबी का रोग, सभी को मार देता है।
हल होना है सीमा को सील करने से,
राज्य, जिला, शहर और हर ग्राम में,
हर नागरिक का लेना होगा सहयोग,
लॉकडाउन नहीं, काम के लायक़ ये लोग।
सामाजिक दूरी सिखलाए हर नागरिक,
जीवन जिए, और काम करे, प्रत्येक नागरिक।

इन हालात में भी बचेंगे, दिहाड़ी के ये मज़दूर,
क्योंकि ईश्वर भी है इनके विश्वास से मजबूर।
इस देश के लोगों की रक्षा करेंगे श्री भगवान ,
हैं समर्थ, कर विश्वास, उनको अपना मान।

6th Day
लॉकडाउन को सफल बनाने के लिए कर रही सरकार प्रयास,
चलते जा रहे भूखे मज़दूरों के लिए, बनाए जा रहे अस्थाई आवास।
पंजाब एवं उत्तरप्रदेश, चालू कर रहे कुछ उद्योग,
राजनीति भी हो रही, बढ़ रहा कोरोना का रोग।

रोग प्रतिरोधक क्षमता जगा रही कुछ आस,
भारत में न फैले संक्रमण, है यही प्रयास।
दान करें, सेवा करे, अनावश्यक ना निकले बाहर,
सुरक्षित घर में रहे, ना डिगने पाए हमारा विश्वास!

7th Day
मानव अपने मन में, सालों का भविष्य बुन लेता है,
नॉवल कोरोना वायरस, सब चौपट कर देता है।

लॉकडाउन करने के बाद भी, हो रहे सारे प्रयास,
मज़दूरों का सड़क पर, प्रवाह कम हुआ आज।
लेकिन पूरी दुनिया में, पॉज़िटिव केस और मौतें,
थम ना रही, और बढ़ रही, सभी देशों में मौतें ।
परमात्मा ही लगायें पार, यही है अब आस,
रख कर विश्वास, कर रहा मानव पूरा प्रयास।

8th Day
तबलीगी जमात ने मचा दिया कोरोना कोहराम,
चाहे राखे अल्लाह, चाहे रक्षा करे राम।
यह संक्रमण ना बदले सामाजिक संक्रमण में,
कर रही सरकार यही प्रयास, इस कोरोना रण में।
दुनिया में मौतों की संख्या और संक्रमण बढ़ रहा,
नापाक चीन अपने व्यापार के अवसर ढूँढ रहा।

प्रकृति का अपने सुधार का, यह अनूठा प्रयास,
मानव हो मानो वायरस, कर रही प्रकृति उपहास।
मानव के लॉकडाउन होने से, बाहर सब सुंदर है,
मानो प्रकृति कह रही, मुझे नहीं, तुझे ज़रूरत है।
तू समझ मेरे दुलार को, आनंद कर मेरी गोद में,
छोड़ शोषण, पुत्र मेरे,  भर दूँगी तेरा मन मोद से।

9th Day
लॉक डाउन  के मध्य, तबलिगी जमात और धर्म,
बढ़ रहे कोरोना के मरीज़, गुनाह कर रहे बेशर्म,
देशवासी जो, स्वास्थ्य रक्षक पर हमला करते हैं,
इन देशद्रोहियों का रक्षण, राजनीतिज्ञ करते है !
अब बहुत हुआ, निश्चित है समय जागरण का,
बस जीत हो परिणाम, कोरोना से हमारे रण का !
या अल्लाह, या मौला, या कहो जय श्री राम,
करो विश्वास, हो कृपा, पूर्ण होंगे सारे काम।

10th Day
लॉक डाउन के बाद भी, कोरोना रोगी बढ़ रहे,
लेकिन इसके बिना क्या हो, नहीं समझ पा रहे।
सीमा बंद करनी होगी, हर देश, राज्य, जिले व ग्राम की,
क्वॉरंटीन करके ही, रक्षा होगी, अब मानव के स्वास्थ्य की।
इसमें भी अनेक समस्याओं का, सामना करना होगा,
लेकिन इसके बिना इस समस्या का, हल भी नहीं होगा।

प्रधानमंत्री ने पाँच अप्रेल को किया है, प्रकाश पर्व का आह्वान,
ईश्वर पर विश्वास कर, जीने के लिए सरकार की सलाह मान।

11th Day
लॉक डाउन करे या ना करे, दुनिया में अब विवाद का विषय नहीं,
कितने समय के लिए, किस तरह से करें, विचार का विषय यही।
लेकिन लॉक डाउन अभी भेड़ चाल जैसा उपाय है,
अभी नहीं,  बर्बादी देरी से, सरकारें निरुपाय है।
सामाजिक दूरी हमारा स्वभाव बने,
आवश्यकता आधारित जीवन बने,
प्रकृति का शोषण नहीं, आदर करें,
जीवों से सहानुभूति से व्यवहार करे।

विश्वास रखें, सर्वशक्तिमान परमात्मा का,
साधनो की सीमा है, मार्ग है प्रार्थना का।
साधन जुटाते रहें, प्रयत्न करते रहें,
कर्तव्य पालन हेतु, विश्वास बना रहे।

12th Day
लॉक डाउन कब ख़त्म होगा, व्याप्त है यही संशय,
ख़त्म हो चरणबद्ध, वरना क्या होगा, यह है भय।
हर समर्थ व्यक्ति को राष्ट्र का आह्वान यही है,
लॉक डाउन हो भले, आपका योगदान ज़रूरी है।
शोध करो, दान करो, जागृति फ़ैलाओ समाज में,
निरंतर प्रयास करो,अवसाद-भ्रम न हो समाज में।

संख्या बढ़े संक्रमण की, या भले ही मृत्यु की,
तुम्हारा विश्वास ना डिगे, जीत ना हो मृत्यु की।
उत्साह हमारा आज प्रकाश पर्व में प्रकाशित हो,
सामाजिक दूरी से निश्चित, कोरोना पराजित हो।
हम सभी हैं साथ - साथ, विश्व को दिखा देना है,
जगत् बढ़े साथ-साथ,विश्व बंधुत्व सिखा देना है।

13th Day
लॉक डाउन में रहते हुए यदि लगता है, काम नहीं,
बन जाओ स्वयं सेवक, काम नहीं सेवा ही सही।
अपने सामर्थ्य का उपयोग करो,
नव कौशल का विकास करो,
नव उत्साह का संचार करो,
जीवन जियो, मत सोच करो।
सब कुछ करने के लिए चाहिए विश्वास,
जिसे कहे प्रभु का विश्वास, वही आत्मविश्वास।

14th Day
लॉक डाउन में सरकार चाहती है, हर कोरोना मरीज़ की पहचान,
कुल नाए मरीज़ों में आधे मरीज़, तबलिगी जमात से, यह अनुमान।
लेकिन छिपकर मस्जिदों में, ये क्यों फैला रहे रोग ?
इतनी दुष्टता, इतना डर, कोरोना है या मानसिक रोग ??

कष्ट और प्रतिकूलता में भी, उत्तरदायित्व नहीं भूलते हैं,
अमेरिका की अपील पर, औषध भी निर्यात करते हैं।
दधीचि का देश यह, विश्व का नेतृत्व कर सकता है,
लेकिन ईश्वर या अल्लाह के फ़ेर में चूक सकता है।
सेवा, सामाजिक दूरी, सहानुभूति एवं विश्वास,
रहो उत्साहित, व्यस्त निरंतर, ना हो कभी निराश।

15th Day
लॉक डाउन और बढ़ेगा, ऐसा सबको लगता है,
लेकिन हल कब निकलेगा, कोई नहीं जानता है।
ऐसे भ्रम और संशय में जो विश्वास रखता है,
इहलोक और परलोक में काम उसी का बनता है।
सेवा, सामाजिक दूरी, सहानुभूति एवं विश्वास,
रहो उत्साहित, व्यस्त निरंतर, ना हो कभी निराश।

16th Day
लॉक डाउन का क्या करें, हॉट स्पॉट सील करें ?
अर्थव्यवस्था धीमी हो रही, कैसे नियंत्रण करें ??
जमात का ज़िक्र,  क्यों हो रहा है आँकड़ो में,
क्यों न हो, जब तीस प्रतिशत जुड़े है जमात से,
ऐसे उन्माद और साम्प्रदायिकता से बचना होगा,
प्रेम, धर्म और विश्वास से, जीवन रक्षित होगा।

17th Day
कोरोना का क्या करें, आप भी ज़रा सोचिए,
कठिन समय में, कोशिश करके कुछ कीजिए।
पंजाब और उड़ीसा ने लॉक डाउन बढ़ा दिया है,
सब जगह बढ़ेगा, यह विचार सबको आ गया है।
सेवा, सामाजिक दूरी, सहानुभूति एवं विश्वास,
रहो उत्साहित, व्यस्त निरंतर, ना हो कभी निराश।

18th Day
लॉक डाउन पर संशय आज भी बरकरार रहा,
महाराष्ट्र, पंजाब, ओड़िशा में 30 अप्रेल  हुआ।
दिल्ली, प० बंगाल व राजस्थान तथा तेलंगाना,
चाहते हैं केंद्र से हो घोषणा, सबका कहना माना।
प्रधानमंत्री भी शायद ऐसा ही चाहते हैं,
लेकिन उद्योग गति पकड़े, ऐसा भी चाहते हैं।
सेवा, सामाजिक दूरी, सहानुभूति एवं विश्वास,
रहो उत्साहित, व्यस्त निरंतर, ना हो कभी निराश।

19th Day
लॉक इन या लॉक डाउन, कुछ भी हो, ऐसा हो,
कोरोना हमसे डरे, उसे फैलने की जगह ना हो,
अमेरिका, इटली, स्पेन, फ़्रांस, चीन और ईरान,
योरोप के अनेक देश, क्या सब हार लेंगे मान ?
जीतेंगे हम कोरोना से, मानव का यही इतिहास,
हर परिस्थिति से आगे आया, कभी न खोई आस।
सेवा, सामाजिक दूरी, सहानुभूति एवं विश्वास,
रहो उत्साहित, व्यस्त निरंतर, ना हो कभी निराश।

20th Day
लॉक डाउन में कोरोना की सीमा सील करनी थी,
राजस्थान ने भीलवाड़ा में मिसाल पेश कर दी थी,
हाय ! जयपुर के लिए दैव क्यों विपरीत हो रहा ?
कुआरंटिन करने के लिए, रामगंज को फैला रहा,
क्यों बाहर कॉलोनी में ले जा रहे हो, संदिग्धों को,
जलेब चौक,पुरानी विधानसभा में रखो सब को।
शहर के भीतर भी होटल और विद्यालय अनेक हैं,
सील सीमा से, बाहर न निकालो, नियम एक है।

अभी भी हम सामाजिक संक्रमण से कुछ दूर हैं,
लेकिन शीघ्र ही वहाँ होने की संभावना भरपूर है।
एक और दौर लॉक डाउन का, इसे धीरे कर देगा,
यदि इसे आना भी है,  देश तैयारी तो कर लेगा।
सेवा, सामाजिक दूरी, सहानुभूति एवं विश्वास,
रहो उत्साहित, व्यस्त निरंतर, ना हो कभी निराश।

21st Day
लॉक डाउन तीन मई तक, बढ़ा दिया गया है ,
उन्नीस दिन आपको अवसर दिया गया है।
रोक सको तो रोक लो, इस कोरोना संक्रमण को,
शांत रहकर, बिना लड़े ही जीत लोगे इस रण को,
बीस अप्रेल को, जब करे समीक्षा सरकार,
तुम्हारा क्षेत्र खुल सके, प्रयास यही हो इस बार।
सेवा, सामाजिक दूरी, सहानुभूति एवं विश्वास,
रहो उत्साहित, व्यस्त निरंतर, ना हो कभी निराश।

25th Day (2.0 Day 1-4)
लॉक डाउन 2.0 उन्नीस दिन में हमें कुछ बेहतर दे जाए।
इसके लिए आवश्यक है, हमारा पूर्ण सहयोग हो जाए।
मुक्त है जो गाँव, शहर और जिले कोरोना से,
रहें मुक्त अब अगले माह ये सभी कोरोना से।
आरोग्य सेतु का करें उपयोग, ना दें वायरस को आमंत्रण,
इसे बाहर रखें शहर की सीमा से, ऐसी सुरक्षा से लड़ें यह रण।

29th Day (2.0 Day 5-8)
लॉक डाउन का दूसरा चरण, शनैः शनैः उद्योग खोल रहे हैं।
आर्थिक गतिविधि चले, कोरोना रोग ना बढ़े, प्रयास कर रहे हैं।
आज केंद्र सरकार का आ गया है नया अध्यादेश
स्वास्थ्य दल पर हमला करने वाले को, कठोर दंड देगा देश।

33rd Day (2.0 Day 9-12)
लॉक डाउन में ढील देने के लिए, सभी दुकाने अब खोल रहे हैं।
लेकिन क्या करना उचित या अनुचित, असमंजस में जी रहे हैं।
प्लाज़्मा थेरेपी, वैक्सीन की खोज का द्वितीय चरण आशा जगाते हैं।
बढ़ती मौतें या संक्रमण के आँकड़े देख, हम निराशा से भर जाते हैं।
सेवा, सामाजिक दूरी, सहानुभूति एवं विश्वास,
रहो उत्साहित, व्यस्त निरंतर, ना हो कभी निराश।

37th Day (2.0 Day 13-16)
लॉकडाउन  से हम कोरोना रोगी की संख्या कम करने में कामयाब हुए हैं,
क्या अब यदि बढ़े मरीज़, तो हमारे अस्पताल तैयार हो गए हैं ?
अग्नि परीक्षा के लिए हमें कमर कसनी होगी,
रोटी और रोज़गार के लिए, जोखिम लेनी होगी।
हाट्स्पाट के अलावा ज़िलेवार, खोलने का निर्णय करें,
जनता करे पुलिस का सहयोग, नियमों का पालन करे।
अब सब मिल कर करें लड़ाई, करें ईश्वर में पूरा विश्वास,
प्रकृति का रक्षण करें, दो गज दूरी रखें, दिल से रहें पास।

40th Day (2.0 Day 16-19)
सरकार ने लॉक डाउन  3.0 लागू कर दिया है 14 दिन के लिए,
निर्णय अब आपके हाथ में, कैसे संक्रमण से बच कर जिएँ।
फिर से पुनर्जीवित करें, देश की अर्थव्यवस्था,
सुरक्षित दूरी हर समय, बनाए रखने की व्यवस्था।
अब सब मिल कर करें लड़ाई, करें ईश्वर में पूरा विश्वास,
प्रकृति का रक्षण करें, दो गज दूरी रखें, दिल से रहें पास।

42nd Day (3.0 Day 1-2)
लॉकडाउन 3.0 में खुल सकते हैं, कार्यालय पूरे देश में,
लेकिन शराब की दुकानों पर, लग रही भीड़ हर प्रदेश में।
14 दिन का तीसरा लॉकडाउन, क्या 40 दिन के लाभ को खो देगा ?
या इस देश का आम आदमी, मास्क पहनकर दो गज दूरी रख लेगा ??
सोचो सब, कैसे हो हल, सहयोग होना चाहिये,
देश में नियंत्रित अब, कोरोना रोग होना चाहिये।

44th Day (3.0 Day 3-4)
अर्थव्यवस्था में हम प्रगति के मार्ग खोज रहे हैं,
शराब, डीज़ल और पेट्रोल पर टैक्स बढ़ा रहे हैं।
लेकिन कोरोना रोगी अब तेज़ी से बढ रहे हैं,
लॉक डाउन पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर रहे हैं।
सावधानी रखनी होगी, काम भी करना होगा,
अब कोरोना के साथ, जीना सीखना होगा।

46th Day (3.0 Day 5-6)
लॉकडाउन में मज़दूरों के लिए समस्या ख़त्म होती नहीं,
अब संक्रमित जवानों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही।
कुछ शहर अब काम करने पर ध्यान दे रहे है,
कुछ भारतीय भी विदेश से भारत आ रहे हैं।
अब हमें दूरी के साथ कार्य करना सीखना होगा,
कोरोना ख़त्म जब हो तब हो, साथ जीना होगा।

48th Day (3.0 Day 7-8)
लॉकडाउन का क्या करें, चर्चा देश व राज्य के मुखिया कर रहे हैं,
गरीब, मज़दूर, धारावी के बाशिंदे, भुखमरी से अधिक डर रहे हैं।
पूरी दुनिया में कोरोना फैल रहा या थम रहा है,
या लॉकडाउन से थमने का भ्रम फैल रहा है ?
सब चाहते हैं रोग से बचना, सब चाहते हैं काम,
क्या ऐसे समय में भी रक्षा नहीं करता राम नाम ?
करने में सावधानी, होने में प्रसन्नता,
प्रभु परायण होकर, धारण करो समता।

50th Day (3.0 Day 9-10)
लॉकडाउन में जब सुना प्रधानमंत्री का सन्देश,
आश्वासन और लॉकडाउन, क्या करेगा देश ?
कैसे खोलें लॉकडाउन, विचार यह चल रहा है,
लगाना आसान, खोलना मुश्किल पड़ रहा है।
करो हिम्मत, बढ़ो आगे, रखो पूरा विश्वास,
सनातन धर्म का देश यह, कभी न छोड़े आस।

52nd Day (3.0 Day 11-12)
लॉकडाउन में लघु उद्योगों एवं किसानो को राहत पैकेज दिया है,
विदेश से यात्रियों का बुलाना भी चालू किया है,
प्रवासी श्रमिकों की समस्या का हल नहीं निकल रहा है,
बढ़ रहे हैंकोरोना रोगीकोई उपाय नहीं मिल रहा है। 
इसके साथ ही जीना हैयह समझ में  रहा है,
उत्साह बढेडर हटेअब प्रयास यही चल रहा है। 

54th Day (3.0 Day 13-14)
लॉकडाउन 3.0 का आज समापन है। 
नव लॉकडाउन में आपका स्वागत है। 
कोरोना को सीमा सील कर के, क़ैद कर दो,
प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने दो, व्यर्थ न डरो। 
मृत्यु के भय से मुक्त रहो, व्यवहार में पूर्ण सावधान रहो,
ख़ुद फैलानेवाले नहीं बन जाओ, इसलिए सतर्क रहो। 
विश्वास रखो, यहाँ पर विशेष कृपा है भगवान की,
भूमि है सनातन धर्म की, प्रभु रक्षा करते हैं धर्म की। 

Lockdown 3.0 Day 1-14 भागवत May 4-17, 2020

भागवत माहात्म्य में गोकर्ण कथा से यह समझाया गया,
भागवत जीवित को सदा मुक्त करेप्रेत भी मुक्त हो गया। 

प्रथम स्कंध में पांडवकृष्ण और परीक्षित का वर्णन,
परीक्षित मुक्त हो सात दिन मेंइसके लिए कथा का उपक्रम। 

द्वितीय स्कंध में सृष्टि रचनाकाल गणना और विराट पुरुष का वर्णन,
सृष्टि की रचना करते ब्रह्मालेकिन उरप्रेरक हैं स्वयं नारायण। 

तृतीय स्कंध में ब्रह्मा की सृष्टि कादस रूपों में होता विस्तार,
मनु और शतरूपा के शासन के लिएरसातल से आवश्यक पृथ्वी का उद्धार,
विष्णु पार्षद जय विजय का दैत्य हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु  के रूप में अवतार
लाते पृथ्वी को अपनी दाढ़ों परकरके हिरण्याक्ष बध,श्री विष्णु के वाराह अवतार 
कर्दम और देवहूति के विवाह के साथ होता है प्रथम दिन का समापन,
देवहूति के गर्भ से कलावतार कपिल मुनि का होगा अवतरण।



तृतीय स्कंध में भगवान कपिल ने प्रणीत किया सांख्य योग,

सांख्य योगी के लिए भी निर्धारित किया उपाय भक्ति योग।



चतुर्थ स्कंध में पुरंजन आख्यान सेपरोक्ष रूप से वर्णित आत्मयोग,

जीव भूलकर ईश्वर कोभोग से पातावृद्धावस्था एवं मृत्यु रोग। 

स्वायंभुव मनु के पुत्र उत्तानपाद की  संतानों का कर्तृत्व महान,
सुनीति पुत्र ध्रुव नेपाया ध्रुव लोक और भक्ति का वरदान। 
ध्रुव के पुत्र अंग की संतान पृथु भी भगवान विष्णु के अंशावतार,
जिन्होंने पृथ्वी को दुहकर संसार में अन्न  औषध का किया संचार। 

पंचम स्कंध में मनुपुत्र प्रियव्रत चाहते थे केवल आत्मज्ञान,
ब्रह्मा के उपदेश से गृहस्थ हुएभगवान ऋषभदेव बने संतान। 
भरत थे  उनके पुत्रजिनके नाम से यह देश कहलाया भारतवर्ष,
राज्य का पालन कियाबने मुनिपर मृग बालक से जुड़ गया शोक हर्ष।
अंतसमय में अटका मनअगले जीवन में मृग बने,
लेकिन चेतना बनी रहीपुनर्जन्म में ब्राह्मण बने।

लोक की दृष्टि में जड़ भरत सेराजा रऊगण,

समझ पाते हैं वास्तविक तत्वज्ञान ,

शरीर में स्थित आत्माहै शरीर से भिन्न

भवाटवि में माया के वशभटकता मानव जन्म। 

महर्षि व्यास ने किया विशद वर्णननव वर्ष

सप्तद्वीपसप्त समुद्रभूगोल  खगोल का,

नर नारायण की पूजा करता जंबूद्वीप में भारतवर्ष,
मानव के लिए लक्ष्य यहाँभक्तितत्वज्ञान का। 

षष्ठम स्कंध में वर्णन त्वष्टा पुत्रविश्वरूप के भाईदैत्य वृत्रासुर का,
जिसके वध के लिए वज्र हेतुदधीचि ने दान किया अस्थियों का। 
युद्ध में जिसके आगे इंद्र भी लज्जित हुआ,
उसे भक्ति से प्राप्तसर्वश्रेष्ठ परमपद हुआ। 

सप्तम स्कंध में वर्णितदैत्य हिरण्यकश्यप के ताप  ज्ञान का प्रभाव,
त्रिलोकी विजयप्रकृति अनुकूलपरंतु मन में विष्णु के प्रति वैर भाव।
हिरण्यकश्यप के पुत्र हुएदैत्य वंश कीर्तिवर्धकमहान भक्त प्रह्लाद,
जिनकी रक्षा के लिएहुआ नरसिंह अवतारधारण किया रूप विकराल। 
भागवत धर्म का विशद वर्णन कियासभी वर्णों एवं  आश्रमों के लिए,
भगवदभक्तियम नियम का पालनदान जप एवं श्रद्धा गृहस्थ के लिए। 

अष्टम स्कंध में वर्णित समुद्र मंथनदैत्य  देवोंके सहयोग से,

चौदह रत्नलक्ष्मी विष्णु कोहलाहल विष पिया  शिव ने। 

कच्छप अवतार लिया विष्णु नेमंदराचल पर्वत थामने के लिए

विष्णु के मोहिनी अवतार ने छल से अमृत छीना देवों के लिए। 

देवासुर संग्राम में दिखाया देवों एवं दानवों ने अद्भुत पराक्रम,

वामन अवतार लिया विष्णु नेक्योंकि दानव पालन कर रहे धर्म। 

उदारता की सीमा निश्चित कर दीदानवराज बलि ने,
शत्रु के प्रति वचन का पालनशाप दिया व्यथित गुरु ने। 
मत्स्य अवतार से प्रलय के अंत में बीज रूप सृष्टि की रक्षा हुई,
ब्रह्मा की रात्रि व्यतीत हुईपुनः सृष्टि रचना प्रारम्भ हुई। 

नवम स्कंध के प्रारंभ में महान भक्त अंबरीष से कुपित हुए दुर्वासा ऋषि,
पासा उल्टा पड़ाब्रह्मारुद्रइंद्रविष्णु लोककहीं ना बच पाए ऋषि। 
आख़िर भक्त की शरण में दुर्वासा की रक्षा हुई। 
सुदर्शन चक्र से प्रार्थना जब स्वयं भक्त ने की। 
इक्ष्वाकु वंश में हुए भागीरथगंगा लाए सगर पुत्रों के उद्धार हेतु,
इसी वंश में अवतरित हुएभगवान श्रीराम राक्षसों के वध हेतु !
चंद्रवंश को ही कहा यदु वंशमाधव वंश और वृष्णि वंश,
अवतरित हुए पूर्ण अवतार श्री कृष्णनिमित्त बन गया कंस। 


दशम स्कंध में प्रभु श्री कृष्ण का लीला चरित्र,
आत्म रूप से सब में स्थित, कृष्ण सभी के मित्र। 
माया रूप पूतना मारी,, बवंडर रूप तृणावर्त मारा,
यमलार्जुन वृक्षों से, कुबेर पुत्रों को उद्धारा। 
बछड़े, बगुले और गधे के, रूप में भी मिले असुर,
छोड़ा नहीं किसी को, मारे अघासुर व प्रलम्बासुर,
यमुना जल को शुद्ध किया, कालियनाग के विष से,
कालिय को भी सुरक्षित किया मस्तक पर चरणचिह्न से। 


प्रेम से भरा हुआ अवतार यह, प्रभु का अनुपम चरित्र,
बालक कृष्ण के श्रीदामा आदि, ग्वाले परम मित्र।
माखन चोरी की लीला में, सखा भी साथ निभाते हैं,
चित्तचोर मोहन भक्तों का माखन बाँट कर खाते हैं। 
ब्रजरज खाकर मैया से कहते हैं, माटी नहीं खाई मैंने,
मुँह खोलकर सारी प्रकृति, माँ को दिखला दी कान्हा ने। 

पर परमात्मा को तो देवो का भी दर्प दलन करना था,
इन्द्र और ब्रह्मा को भी सगुण परब्रह्म स्वीकारना था। 
इन्द्र की जगह गोवर्धन की पूजा, किया गिरिराज धारण,
इन्द्र का घमंड तोडा, और गोविन्द नाम किया धारण। 
ब्रह्मा ने ग्वाल, बाल, बछड़े चुरा लिए,
प्रभु ने पुरे साल सारे रूप स्वयं बना लिए। 
ब्रह्मा ने स्तुति की, माना कृष्ण परब्रह्म का अवतार है,
प्रभु कृपा पर दृष्टि रखो,  संसार से, निश्चित बेडा पार है । 

अग्निपान करके, ब्रजवासियों व ग्वालों को सुरक्षित किया,
चीरहरण लीला से, लोक मर्यादा को निश्चित किया। 
अपना स्त्री पुरुष होने का, अभिमान शरीर से ही है,
परमात्मा को पाने के लिए, अहम् से मुक्ति जरुरी है।
मुरली जब बजती है, गोपियों का मन हर लेती है,
वेणु गीत से गोपी बंशी के भाग्य की सराहना करती है।  
ब्राह्मण गर्व करते रह गए, यज्ञपत्नियो का भाग्य जाग्रत हुआ,
उनके चतुर्विध पकवानों से, तृप्त जब परब्रह्म स्वयं हुआ। 


रास पंचाध्यायी, कृष्ण विग्रह भागवत, का ह्रदय स्वरुप है,
यमुना पुलिन पर गोपी गीत, मिलन-विरह, दिव्य, अनूप है। 
अश्वरुपी केशी और व्योमासुर का वध किया कृष्ण-बलराम ने,
अजगर से पिता नन्द को मुक्त किया, कृष्ण ने चरण स्पर्श से।   
शंखचूड़ और अरिष्टासुर का भी उद्धार कर देते हैं,
प्रेमावतार में नन्द यशोदा व ग्वालों को प्रेम से भर देते हैं। 
युगल गीत में गोपियाँ दोनों की शोभा का वर्णन करती है,
अक्रूर लेने आ गए कृष्ण को, ब्रज पर बिजली सी गिरती है। 

कुब्जा से अंगराग, धोबी से वस्त्र प्राप्त करते हैं,
मथुरा में प्रवेश करके भगवान धनुष तोड़ देते हैं। 
आतंकित कंस, कुवलीयापीड़ हाथी को, द्वार पर लगाता है,
चाणूर और मुष्टिक को, कुश्ती हेतु, कृष्ण व राम से लड़वाता है। 
सब व्यर्थ हो जाता है, कृष्ण कर देते है संहार, दुष्ट मामा कंस का,
मिलते हैं वसुदेव देवकी से, उग्रसेन को राजा, बनाते हैं मथुरा का। 
अक्रूर को भेजते हैं हस्तिनापुर, जानने को पांडवों का हाल,
देश में धर्मराज्य स्थापित करने के लिए, कृष्ण की पहली चाल। 

कुब्जा जो बन गई थी सुंदरी, पाती है मात्र विषय सुख श्रीकृष्ण से, 
कृष्ण का दर्शन-स्पर्श अमोघ, क्या चूक हुई भागवतकार से ?
उद्धव परम सखा कृष्ण के, ब्रज जाते हैं दूत बनकर,
भ्रमर गीत सुनाती हैं गोपियाँ, आते हैं भक्त बनकर। 
गोपियाँ विरह में पाती हैं, कृष्ण को हर जगह,
सत्य है - मिलन में आनंद, मधुरतम है विरह। 

कंस का श्वसुर जरासंध करता है सत्रह बार आक्रमण,
आखिर कालयवन भी आया, कृष्ण ने किया रण से पलायन। 
समुद्र के मध्य, द्वारका बसा लेते हैं अपने यदुवंशी स्वजनों के लिए,
विश्वकर्मा बनाते हैं सुधर्मा सभा, आते हैं सभी देव, रिद्धि सिद्धि लिए। 
भगवती लक्ष्मी की अवतार, रुक्मिणी का पत्र पाते हैं श्री भगवान,
कर लाते हैं हरण, होता है विवाह समारोह, द्वारका में महान।  


कृष्ण के विवाहरुक्मिणी के बादजांबवंती  सत्यभामा से,
कालिंदीभद्रालक्ष्मणासत्या और मित्रवृन्दा से। 
भौमासुर के कैद से छुड़ाई सोलह हजार राजकुमारियाँ,
दिया सर्वश्रेष्ठ सम्मानकहलाई कृष्ण की धर्मपत्नियाँ। 
यहीं पर मुर दैत्य का वध करकेपाया नाम मुरारि,
अमरावती से ले आए कल्पवृक्षखेल में लीलाधारी। 

कामदेव के अवतार प्रद्युम्न को ले गया शम्बरासुर,
पत्नी रति ने किया पालनसहयोग से वध किया असुर। 
कामपुत्र अनिरुद्ध का हरण कियाबाणासुर पुत्री उषा ने,
शिव पार्षद बना बाणासुरदिया प्राणदान द्वारकाधीश ने। 
साम्ब के लिए दुर्योधन सुतालक्ष्मणा ले आये बलराम,
द्वारका में विवाह समारोहविकसित धर्मअर्थ  काम। 

शिशुपालपौण्ड्रकदन्तवक्त्र  विदुरथ को स्वयं ने मारा,
कृष्ण की योजना सेदानवीर जरासंध को भीम ने मारा। 
बलराम जी ने रुक्मी का वध खेल खेल में कर दिया,
सूतजी को अकारण मारवृथा पाप सिर पर लिया। 
तीर्थाटन करते हुएमिथिलाहस्तिनापुर और ब्रज में भी रहे,
कृष्ण तो ब्रजवासियों से कुरुक्षेत्र मेंग्रहण स्नान पर ही मिले। 

गुरुकुल मित्र ब्राह्मण का वर्णन है कृष्ण से द्वारका मिलने आने का,
कृष्ण ने दिया सम्मानधन बहुतबिना कारण पूछे आने का। 
अपनी मित्रता का सम्मानश्यामसुन्दर ने सदा ही किया,
अर्जुनउद्धवसुदामा और ग्वाल सखासभी को संतुष्ट किया। 
रुक्मिणी से परिहास मेंकृष्ण कुछ ऐसा कह देते हैं,
अभिमान मिटा देते हैं उनका,  गृहस्थी का सूत्र बता देते हैं। 
वसुदेव का विष्णु यज्ञदेवकी का अपने छह पुत्रों से मिलन,
सुभद्रा हरणदेवों का आगमनदशम स्कंध का समापन। 

एकादश स्कंध में नौ योगीश्वर का अद्भुत संवाद,
कैसे होता है व्यक्ति का कल्याणक्या है भक्त के लक्षण ? 
क्या है माया और कैसे हों माया से पारकौन है नारायण ?
कैसे हो कर्म , क्या होती गतिकैसे करें भक्ति और कितने अवतार?
दत्तात्रेय ने सीखा सूर्यचन्द्रआकाशपृथ्वीवायुजल  अग्नि से,
मकड़ीपतंगाभौरामधुमक्खीकुररीकबूतरभृंगी   मछली से। 
सर्पअजगरहाथीहरिण और बाण बनाने वाले से
कुमारी कन्यापिंगला वैश्याबालक और शहद वाले से। 
आखिर में अपना शरीर ही अपना गुरु है,
आत्मा को समझने का मार्ग यहीं  से शुरू है। 

एकादश स्कंध में भगवान उद्धव को गीता ज्ञान सुनाते हैं,
बहुत कुछ जो अर्जुन से कहा, उसे फिर से दोहराते हैं। 
अर्जुन ने युद्ध लड़ा कुरुक्षेत्र में, गीता ज्ञान सुनने के बाद,
उद्धव गए बद्रिकाश्रम तप करने, वही ज्ञान सुनने के बाद। 
दोनों घटनाओं से, साधक को यह समझ में आता है,
कि परमात्मा सदैव हमें कर्तव्य की राह दिखलाता है। 
कर्तव्य है वर्तमान में, प्राप्त परिस्थिति में, मनस्थिति के अनुसार,
अपने कर्तव्य का पालन करो, निश्चित होगा तुम्हारा उद्धार। 

ऋषि श्राप से यदुवंश का संहार हुआ, बलराम ने देह त्याग किया,
श्रीकृष्ण करते हैं स्वधाम गमन, इस अवतार का कार्य पूर्ण किया। 
द्वादश स्कंध में कलियुग का वर्णन, राजाओं की वंशावलियाँ,
इतिहास की पुस्तक से मिलाकर, आप ढूँड सकते हैं त्रुटियाँ। 
मार्कण्डेय ऋषि को, नर-नारायण ने, कराया माया का दर्शन,
परीक्षित की मृत्यु, पठन विधि, माहात्म्य, के साथ कथा समापन।