Sunday, January 8, 2023

राम को प्रणाम

रामायण है प्रारंभ से अंत तक, प्रेम की कथा, 
शुरुआत में है शिव शक्ति की प्रीत की व्यथा। 
प्रेम में जब उपजता है संदेह और आता है विपरीत परिणाम, 
सती का होता है पुनर्जन्म, प्रेम में नहीं आता व्यवधान! 
पार्वती का दृढ़ निश्चय मिला देता है दोनों को फिर से, 
शिव के साथ पार्वती का मिलन, हो हम सब के मन में।
श्रद्धा और विश्वास का मिलन जब श्रोता के मन में हो जाए, 
राम कथा में प्रवेश करने का चित्त अधिकारी हो जाए। 

मनु और शतरूपा का प्रेम इतना कि, लगे संग तप करने में, 
विधि हरि हर सब हार गए, आएंगे परब्रह्म अब पुत्र रूप में।
दशरथ और कैकयी का प्रेम तो जग विदित है, 
कौशल्या है पटरानी, उनका मात्र राम में चित्त है,
सुमित्रा को प्रेम मिला महारानी कौशल्या से, 
प्रेम का प्रतिसाद मिला राम को सौमित्र से। 

राम का प्रेम सभी से है, राम से प्रेम सभी को है, 
लेकिन महाविष्णु की चिरसंगिनी, महालक्ष्मी सीता है। 
प्रेम जो प्रस्फुटित होता है, सीता और राम के पुष्पवाटिका में दर्शन से, 
पुष्ट हो उठता है, राम के धनुष भंग कर स्वयंवरमें विजयी होने से। 

उर्मिला और लक्ष्मण की प्रेम गाथा भी यहाँ प्रारम्भ हो जाती है, 
असली वनवास भोगती है उर्मिला, अवध में चौदह वर्ष बिताती है। 
उर्मिला के तप से ही लक्ष्मण कर पाते हैं राम की अनथक सेवा, 
सुहागिन उर्मिला के चौदह वर्ष, जैसे जी रही हो एक विधवा। 

प्रेम में मिलन हो तो प्रेम का आनंद विकसित हो उठता है। 
लेकिन जब प्रेम में विछोह हो, तो प्रेम अनंत गुना बढ़ता है। 
सामने जब प्रेमी हो, तकरार भी हो जाती है, 
पर जब दूर होते हैं, प्रेम की याद रह जाती है। 

सीता तो साथ वन में भी चली गई, विरह का दुःख न सहना था उसे, 
लेकिन भाग्य की विडंबना ऐसी की, विरह का दुःख सहना पड़ा उसे। 
विरही राम ने, प्रेम का अनुपम स्मारक बना दिया, 
लंका से सीता को लाने हेतु राम सेतु बना दिया। 

रावण के प्रति मंदोदरी का प्रेम भी अनुपम था, 
सीता को लौटाने हेतु रावण को दिया परामर्श था। 
मेघनाद के साथ सुलोचना, जैसे लक्ष्मण के साथ उर्मिला, 
रणक्षेत्र में जो भी जीता, प्रेम दोनों को भरपूर मिला। 
प्रेम किया था शूर्पणखा ने भी अपने पति विद्युजिह्न से, 
पति की मृत्यु का बदला, आख़िर ले लिया था रावण से। 

भ्रातृ प्रेम का अनुपम उदाहरण, रावण और कुम्भकर्ण, 
नहीं दिया समाज ने आदर, रहा घर का भेदी विभीषण। 
भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न रहेंगे आदर्श सदा, 
राम जैसा भाई इसीलिए उन सबको मिला। 

ऋषि मुनि राम के प्रेम में इस तरह से व्यथित हुए, 
कि कृष्णावतार में वे सभी गोपी रूप में अवतरित हुए। 
शबरी का जीवन है अनंत प्रतीक्षा का प्रमाण, 
हर दिन राह बुहारती, आयेंगे राम, गुरुवाक्य प्रमाण। 

जटायु का मित्र दशरथ से प्रेम ऐसा था, 
सीता हेतु रावण से वृद्घ लड़ पड़ा था। 
हनुमान का अनन्य प्रेम है श्री राम से, 
सीना भी चीर दो तो, दर्शन होते हैं आराध्य के। 

 यह प्रेम की गाथा है रामायण, 
 प्रेम ही संदेश राम का, प्रेम ही जीवन दर्शन।