१ अपना मूल्य समझो और विश्वास करो कि तुम संसार के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हो
२ अपने को मनुष्य बनाने का प्रयत्न करो, यदि इसमें सफल हो गए तो हर काम में सफलता मिलेगी
३ सद्ज्ञान और सत्कर्म यह दो ईश्वर प्रदत्त पंख है, जिनके सहारे स्वर्ग तक उड़ सकते है
४ गृहस्थ एक तपोवन है, जिसमे संयम, सेवा और सहिष्णुता की साधना करनी पड़ती है
५ प्रसन्न रहने के दो ही उपाय है, आवश्यकतायें कम करें और परिस्थितियों से तालमेल बिठायें
६ शालीनता बिना मोल मिलती है पर उससे सब कुछ ख़रीदा जा सकता है
७ मन का संकल्प और शरीर का पराक्रम यदि किसी काम में पूरी तरह लगा दिया जाये, तो सफलता मिलकर रहेगी
८ पुण्य की जड़ हरी रहती है और पातालतक जाती है, उसके सत्परिणाम जन्म-जन्मान्तरों तक उपलब्ध होते रहते है
९ सद्गुणों की खाद और सचाई का पानी पाकर व्यक्तित्व का पौधा विकसित होता है
१० धर्म को संकीर्णता के बाड़े में बंद न करें उसे व्यवहार में उतरने दें ताकि वह आपका व समाज का भला कर सके
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