जो आपको चाहे,
उसे आप भी चाहें, तो ये ख़ूबसूरत होगा !
यदि आप ना भी चाहें,
उसकी उपेक्षा ना करे, वो भी चलेगा।
उसे आप भी चाहें, तो ये ख़ूबसूरत होगा !
यदि आप ना भी चाहें,
उसकी उपेक्षा ना करे, वो भी चलेगा।
लेकिन किसी की चाहत का अपमान करके,
भला आपको क्या मिलेगा ?
सिवाय इसके कि - बस एक बार और,
बढ़ जाएगा आपका अहंकार,
आपको लगेगा एक बार फिर से,
हैं आप ख़ास, अलग हैं सब से।
प्रेम से भर ले स्वयं को,
सम्मान का प्रदर्शन भी नहीं,
और अपमान का सवाल ही नहीं,
बस नम्रतापूर्वक व्यवहार,
निश्चित ही आपके लिए खोल देता है,
कई बंद दरवाज़े, और बढ़ा देता है,
आपको उन्नति की राह पर !
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