Friday, December 31, 2021

संकल्प

जीवन का हर क्षण अब इतना मधुर है,
लगता है आज जीवन भी क्षणभंगुर है।
 
घृणा के अभाव में हर परिवर्तन सुखदायी है,
पूर्ण कुसुमित जीवन हो, यह चेतना आयी है,
चेतनता का हर क्षण, जाग्रत हो जाएँ प्रतिपल,
न मुंदी रहे ये आंखे, जैसे रहती थी कल। 
कल तक था जो सोया, जागा आज विदुर है,
जीवन का हर क्षण अब इतना मधुर है। 

सृजन कार्य में लगे, योग्यता खुद की बढे,
अहं से मुक्ति मिले, संतुष्टि का भाव बढे,
जीवन लक्ष्य के प्रति,मन आबद्ध हो रहा है,
तदनुरूप क्षमताओं को विकसित कर रहा है। 
चेतना के क्षण में, आत्मविश्वास प्रबल है,
जीवन का हर क्षण अब इतना मधुर है। 

स्नेह का विकास हो, अब यही प्रयास हो,
भ्रातृत्व के भाव का बोध अनायास हो,
जैसे जैसे विराट से मिलन हो रहा है,
अपनी लघुता का आभास हो रहा है। 
बूद से समुद्र का मिलन ख़ुदबख़ुद है,
जीवन का हर क्षण अब इतना मधुर है।

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