राम ने दिया यह मंत्र, मानव के लिए,
कुछ भी सम्भव है, प्रेम व मर्यादा के लिए,
साधना से जन्म लेते हैं, साधन अनेक,
नेतृत्व मिलने पर सभी, पीड़ित होते हैं एक।
कुछ भी सम्भव है, प्रेम व मर्यादा के लिए,
साधना से जन्म लेते हैं, साधन अनेक,
नेतृत्व मिलने पर सभी, पीड़ित होते हैं एक।
यदि दस इंद्रियों पर हो हमारा नियंत्रण,
दशरथ बनकर प्रेम करें, राम से आजीवन,
राम ही हो एकमात्र आधार जीवन के लिए,
प्राण का उत्सर्ग यदि कर सकें राम के लिए।
दशरथ बनकर प्रेम करें, राम से आजीवन,
राम ही हो एकमात्र आधार जीवन के लिए,
प्राण का उत्सर्ग यदि कर सकें राम के लिए।
प्रेम के वशीभूत हो राम आ जाते हैं जीवन में,
कुशलता हो जब जीवन के प्रत्येक कर्म में,
कर्मों में योग ही कुशलता है,
कर्मों में योग का अर्थ समता है।
कुशलता हो जब जीवन के प्रत्येक कर्म में,
कर्मों में योग ही कुशलता है,
कर्मों में योग का अर्थ समता है।
हानि लाभ जीवन मरण,
यश अपयश या नित्य रण,
सबके प्रति तितिक्षा और जीवन रक्षा,
ऐसी है कौशल्या और उनकी शिक्षा।
यश अपयश या नित्य रण,
सबके प्रति तितिक्षा और जीवन रक्षा,
ऐसी है कौशल्या और उनकी शिक्षा।
दशरथ जैसा प्रेम और कौशल्या जैसा योग,
तो प्रकट होंगे श्री राम, दूर कर देंगे भव रोग।
तो प्रकट होंगे श्री राम, दूर कर देंगे भव रोग।
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