आज है बीसवाँ दिन, अनलॉक का प्रथम चरण,
प्रथम लॉकडाउन में पढ़ा, रामचरितमानस को,
द्वितीय में गीता की अद्भुत टीका, साधक संजीवनी को।
तृतीय का, उपयोग हुआ, भागवत पारायण में,
चतुर्थ का, सोलह अक्षर महामंत्र, के जप यज्ञ में।
अनलॉक के प्रथम चरण के ग्यारहवें दिन तक,
रामकथा का बालकाण्ड सुना विस्तार पूर्वक।
अगले नौ दिन राज्याभिषेक व वनवास का, वर्णन विस्तार से सुना,
रामकथा के परम पुनीत पात्र भरत, के चरित्र का अवगाहन किया।
अयोध्याकाण्ड में वर्णन छल कपट, चाह मोह एवं नीति भक्ति का,
रावण के अत्याचार से निवारण हेतु, भावी राजा के वनगमन का।
धन परिवार और संसार, मृत्यु के साथ, सब छोड़ देते हैं,
मृत्यु के बाद यश की चाह में, महापुरुष सबसे मुँह मोड़ लेते हैं।
लेकिन कोई बिरले होते है जो, कैकेयी के समान,
प्रभु श्रीराम की लीला हेतु, अपयश भी ओढ़ लेते हैं।
राम और भरत दोनो से प्रेम किया, अपने प्राण के समान,
लेकिन राष्ट्रहित हेतु, सहा समाज व पुत्र से अपमान।
रानी रूठेगी, अपना सुहाग लेगी, यह कहावत बन गई,
दासी मंथरा के साथ कैकेयी की अपकीर्ति अमर हो गई।
भरत और राम का प्रेम, लक्ष्मण और राम का स्नेह,
चारों भाई बने मिसाल, भरत और शत्रुघ्न का नेह।
संसार में मनुष्य अवतार में, प्रभु करते प्रेम लीला है।
इसने ऋषियों के तप व ज्ञान का अभिमान छीना है।
भक्ति है सर्वोपरि, भक्त को मिलता है परमानंद,
मिलने के लिए देह धर, आते स्वयं सच्चिदानंद।
उधर राम वनवास में, लक्ष्मण व सीता के साथ,
इधर उर्मिला नींद में, तपस्वी भरत शत्रुघ्न के साथ।
अनलॉक के प्रथम चरण में, समूह प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो रही है,
व्यर्थ के लॉकडाउन से, अब इसमें और चरम सीमा में देरी लग रही है।
जो गया सो गया, अब काम करो व सावधानी बरतो,
हमें विफल करने का, चीनी प्रयास विफल कर दो।
कर्तव्य का पालन सदा, करो प्रभु का स्मरण,
रहो उत्साहित, दो गज दूरी, जीतेंगे कोरोना रण।
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