21 दिन!
आज सातवाँ दिन है !
रामचरितमानस का तेरहवाँ व चोदहवाँ मासपारायण।
राम के राज्याभिषेक की दशरथ ने मन में ठानी,
ले गुरु वसिष्ठ से आज्ञा, व्यवस्था भी कर डाली !
लेकिन विधि ने कुछ और विचारा, सुरकार्यहेतु,
शारदा ने प्रेरित की मंथरा, बन गयी कैकेयी हेतु ।
राम के अनुज भरत को राज्य, राम हेतु वनवास,
ऐसे वरदान माँगे कैकेयी ने, कैसा सत्यानाश।
लेकिन हर बुराई में भलाई छिपी होती है ,
ऐसे ही हर भलाई के गर्भ में, कोई बुराई होती है।
देवता, सदैव स्वार्थी होते हैं,
अपने कार्य हेतु, छल का सहारा लेते हैं।
मानव अपने मन में, सालों का भविष्य बुन लेता है,
नॉवल कोरोना वायरस, सब चौपट कर देता है।
लॉकडाउन करने के बाद भी, हो रहे सारे प्रयास,
मज़दूरों का सड़क पर, प्रवाह कम हुआ आज।
लेकिन पूरी दुनिया में, पॉज़िटिव केस और मौतें,
थम ना रही, और बढ़ रही, सभी देशों में मौतें ।
परमात्मा ही लगायें पार, यही है अब आस,
रख कर विश्वास, कर रहा मानव पूरा प्रयास।