आज है चौदहवाँ दिन, लॉकडाउन का तृतीय चरण,
भागवत का सप्ताह पारायण, अंतिम सप्तम दिन,
पढ़ा हिंदी अनुवाद , एक पारायण में दो दिन।
प्रथम लॉकडाउन में पढ़ा, रामचरितमानस को,
द्वितीय में गीता की अद्भुत टीका साधक संजीवनी को।
तृतीय का उपयोग हुआ है भागवत पारायण में,
अद्भुत चरित्र श्री कृष्ण का, आनंद अंतःकरण में।
एकादश स्कंध में भगवान उद्धव को गीता ज्ञान सुनाते हैं,
बहुत कुछ जो अर्जुन से कहा, उसे फिर से दोहराते हैं।
अर्जुन ने युद्ध लड़ा कुरुक्षेत्र में, गीता ज्ञान सुनने के बाद,
उद्धव गए बद्रिकाश्रम तप करने, वही ज्ञान सुनने के बाद।
दोनों घटनाओं से, साधक को यह समझ में आता है,
कि परमात्मा सदैव हमें कर्तव्य की राह दिखलाता है।
कर्तव्य है वर्तमान में, प्राप्त परिस्थिति में, मनस्थिति के अनुसार,
अपने कर्तव्य का पालन करो, निश्चित होगा तुम्हारा उद्धार।
ऋषि श्राप से यदुवंश का संहार हुआ, बलराम ने देह त्याग किया,
श्रीकृष्ण करते हैं स्वधाम गमन, इस अवतार का कार्य पूर्ण किया।
द्वादश स्कंध में कलियुग का वर्णन, राजाओं की वंशावलियाँ,
इतिहास की पुस्तक से मिलाकर, आप ढूँड सकते हैं त्रुटियाँ।
मार्कण्डेय ऋषि को, नर-नारायण ने, कराया माया का दर्शन,
परीक्षित की मृत्यु, पठन विधि, माहात्म्य, के साथ कथा समापन।
लॉकडाउन 3.0 का आज समापन है।
नव लॉकडाउन में आपका स्वागत है।
कोरोना को सीमा सील कर के, क़ैद कर दो,
प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने दो, व्यर्थ न डरो।
मृत्यु के भय से मुक्त रहो, व्यवहार में पूर्ण सावधान रहो,
ख़ुद फैलानेवाले नहीं बन जाओ, इसलिए सतर्क रहो।
विश्वास रखो, यहाँ पर विशेष कृपा है भगवान की,
भूमि है सनातन धर्म की, प्रभु रक्षा करते हैं धर्म की।
एकादश स्कंध में भगवान उद्धव को गीता ज्ञान सुनाते हैं,
बहुत कुछ जो अर्जुन से कहा, उसे फिर से दोहराते हैं।
अर्जुन ने युद्ध लड़ा कुरुक्षेत्र में, गीता ज्ञान सुनने के बाद,
उद्धव गए बद्रिकाश्रम तप करने, वही ज्ञान सुनने के बाद।
दोनों घटनाओं से, साधक को यह समझ में आता है,
कि परमात्मा सदैव हमें कर्तव्य की राह दिखलाता है।
कर्तव्य है वर्तमान में, प्राप्त परिस्थिति में, मनस्थिति के अनुसार,
अपने कर्तव्य का पालन करो, निश्चित होगा तुम्हारा उद्धार।
ऋषि श्राप से यदुवंश का संहार हुआ, बलराम ने देह त्याग किया,
श्रीकृष्ण करते हैं स्वधाम गमन, इस अवतार का कार्य पूर्ण किया।
द्वादश स्कंध में कलियुग का वर्णन, राजाओं की वंशावलियाँ,
इतिहास की पुस्तक से मिलाकर, आप ढूँड सकते हैं त्रुटियाँ।
मार्कण्डेय ऋषि को, नर-नारायण ने, कराया माया का दर्शन,
परीक्षित की मृत्यु, पठन विधि, माहात्म्य, के साथ कथा समापन।
लॉकडाउन 3.0 का आज समापन है।
नव लॉकडाउन में आपका स्वागत है।
कोरोना को सीमा सील कर के, क़ैद कर दो,
प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने दो, व्यर्थ न डरो।
मृत्यु के भय से मुक्त रहो, व्यवहार में पूर्ण सावधान रहो,
ख़ुद फैलानेवाले नहीं बन जाओ, इसलिए सतर्क रहो।
विश्वास रखो, यहाँ पर विशेष कृपा है भगवान की,
भूमि है सनातन धर्म की, प्रभु रक्षा करते हैं धर्म की।
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