आज है चौथा दिन, लॉकडाउन का तृतीय चरण,
भागवत का सप्ताह पारायण, हुआ द्वितीय दिन,
पढ़ रहा हिंदी अनुवाद , एक पारायण में दो दिन।
प्रथम लॉकडाउन में पढ़ा, रामचरितमानस को,
द्वितीय में गीता की अद्भुत टीका साधक संजीवनी को।
तृतीय का उपयोग हो रहा है भागवत पारायण में,
ईश्वर कृपा से शांति बढ़ती है, अंतःकरण में।
तृतीय स्कंध में भगवान कपिल ने प्रणीत किया सांख्य योग,
सांख्य योगी के लिए भी निर्धारित किया उपाय भक्ति योग।
चतुर्थ स्कंध में पुरंजन आख्यान से, परोक्ष रूप से वर्णित आत्मयोग,
जीव भूलकर ईश्वर को, भोग से पाता, वृद्धावस्था एवं मृत्यु रोग।
स्वायंभुव मनु के पुत्र उत्तानपाद की संतानों का कर्तृत्व महान,
सुनीति पुत्र ध्रुव ने, पाया ध्रुव लोक और भक्ति का वरदान।
ध्रुव के पुत्र अंग की संतान पृथु भी भगवान विष्णु के अंशावतार,
जिन्होंने पृथ्वी को दुहकर संसार में अन्न व औषध का किया संचार।
पंचम स्कंध में मनुपुत्र प्रियव्रत चाहते थे केवल आत्मज्ञान,
ब्रह्मा के उपदेश से गृहस्थ हुए, भगवान ऋषभदेव बने संतान।
भरत थे उनके पुत्र, जिनके नाम से यह देश कहलाया भारतवर्ष,
राज्य का पालन किया, बने मुनि, पर मृग बालक से जुड़ गया शोक हर्ष।
अंतसमय में अटका मन, अगले जीवन में मृग बने,
लेकिन चेतना बनी रही, पुनर्जन्म में ब्राह्मण बने।
अर्थव्यवस्था में हम प्रगति के मार्ग खोज रहे हैं,
शराब, डीज़ल और पेट्रोल पर टैक्स बढ़ा रहे हैं।
लेकिन कोरोना रोगी अब तेज़ी से बढ रहे हैं,
लॉक डाउन पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर रहे हैं।
सावधानी रखनी होगी, काम भी करना होगा,
अब कोरोना के साथ, जीना सीखना होगा।
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