आज है बारहवां दिन, लॉकडाउन का तृतीय चरण,
भागवत का सप्ताह पारायण, हुआ षष्ठम दिन,
पढ़ रहा हिंदी अनुवाद , एक पारायण में दो दिन।
प्रथम लॉकडाउन में पढ़ा, रामचरितमानस को,
द्वितीय में गीता की अद्भुत टीका साधक संजीवनी को।
तृतीय का उपयोग हो रहा है भागवत पारायण में,
अद्भुत चरित्र श्री कृष्ण का, आनंद अंतःकरण में।
कृष्ण के विवाह, रुक्मिणी के बाद, जांबवंती व सत्यभामा से,
कालिंदी, भद्रा, लक्ष्मणा, सत्या और मित्रवृन्दा से।
भौमासुर के कैद से छुड़ाई सोलह हजार राजकुमारियाँ,
दिया सर्वश्रेष्ठ सम्मान, कहलाई कृष्ण की धर्मपत्नियाँ।
यहीं पर मुर दैत्य का वध करके, पाया नाम मुरारि,
अमरावती से ले आए कल्पवृक्ष, खेल में लीलाधारी।
कामदेव के अवतार प्रद्युम्न को ले गया शम्बरासुर,
पत्नी रति ने किया पालन, सहयोग से वध किया असुर।
कामपुत्र अनिरुद्ध का हरण किया, बाणासुर पुत्री उषा ने,
शिव पार्षद बना बाणासुर, दिया प्राणदान द्वारकाधीश ने।
साम्ब के लिए दुर्योधन सुता, लक्ष्मणा ले आये बलराम,
द्वारका में विवाह समारोह, विकसित धर्म, अर्थ व काम।
शिशुपाल, पौण्ड्रक, दन्तवक्त्र व विदुरथ को स्वयं ने मारा,
कृष्ण की योजना से, दानवीर जरासंध को भीम ने मारा।
बलराम जी ने रुक्मी का वध खेल खेल में कर दिया,
सूतजी को अकारण मार, वृथा पाप सिर पर लिया।
तीर्थाटन करते हुए, मिथिला, हस्तिनापुर और ब्रज में भी रहे,
कृष्ण तो ब्रजवासियों से कुरुक्षेत्र में, ग्रहण स्नान पर ही मिले।
गुरुकुल मित्र ब्राह्मण का वर्णन है कृष्ण से द्वारका मिलने आने का,
कृष्ण ने दिया सम्मान, धन बहुत, बिना कारण पूछे आने का।
अपनी मित्रता का सम्मान, श्यामसुन्दर ने सदा ही किया,
अर्जुन, उद्धव, सुदामा और ग्वाल सखा, सभी को संतुष्ट किया।
रुक्मिणी से परिहास में, कृष्ण कुछ ऐसा कह देते हैं,
अभिमान मिटा देते हैं उनका, गृहस्थी का सूत्र बता देते हैं।
वसुदेव का विष्णु यज्ञ, देवकी का अपने छह पुत्रों से मिलन,
सुभद्रा हरण, देवों का आगमन, दशम स्कंध का समापन।
एकादश स्कंध में नौ योगीश्वर का अद्भुत संवाद,
कैसे होता है व्यक्ति का कल्याण, क्या है भक्त के लक्षण ?
क्या है माया और कैसे हों माया से पार, कौन है नारायण ?
कैसे हो कर्म , क्या होती गति, कैसे करें भक्ति और कितने अवतार?
दत्तात्रेय ने सीखा सूर्य, चन्द्र, आकाश, पृथ्वी, वायु, जल व अग्नि से,
मकड़ी, पतंगा, भौरा, मधुमक्खी, कुररी, कबूतर, भृंगी व मछली से।
सर्प, अजगर, हाथी, हरिण और बाण बनाने वाले से,
कुमारी कन्या, पिंगला वैश्या, बालक और शहद वाले से।
आखिर में अपना शरीर ही अपना गुरु है,
आत्मा को समझने का मार्ग यहीं से शुरू है।
लॉकडाउन में लघु उद्योगों एवं किसानो को राहत पैकेज दिया है,
विदेश से यात्रियों का बुलाना भी चालू किया है,
प्रवासी श्रमिकों की समस्या का हल नहीं निकल रहा है,
बढ़ रहे हैं, कोरोना रोगी, कोई उपाय नहीं मिल रहा है।
इसके साथ ही जीना है, यह समझ में आ रहा है,
उत्साह बढे, डर हटे, अब प्रयास यही चल रहा है।
कृष्ण ने दिया सम्मान, धन बहुत, बिना कारण पूछे आने का।
अपनी मित्रता का सम्मान, श्यामसुन्दर ने सदा ही किया,
अर्जुन, उद्धव, सुदामा और ग्वाल सखा, सभी को संतुष्ट किया।
रुक्मिणी से परिहास में, कृष्ण कुछ ऐसा कह देते हैं,
अभिमान मिटा देते हैं उनका, गृहस्थी का सूत्र बता देते हैं।
वसुदेव का विष्णु यज्ञ, देवकी का अपने छह पुत्रों से मिलन,
सुभद्रा हरण, देवों का आगमन, दशम स्कंध का समापन।
एकादश स्कंध में नौ योगीश्वर का अद्भुत संवाद,
कैसे होता है व्यक्ति का कल्याण, क्या है भक्त के लक्षण ?
क्या है माया और कैसे हों माया से पार, कौन है नारायण ?
कैसे हो कर्म , क्या होती गति, कैसे करें भक्ति और कितने अवतार?
दत्तात्रेय ने सीखा सूर्य, चन्द्र, आकाश, पृथ्वी, वायु, जल व अग्नि से,
मकड़ी, पतंगा, भौरा, मधुमक्खी, कुररी, कबूतर, भृंगी व मछली से।
सर्प, अजगर, हाथी, हरिण और बाण बनाने वाले से,
कुमारी कन्या, पिंगला वैश्या, बालक और शहद वाले से।
आखिर में अपना शरीर ही अपना गुरु है,
आत्मा को समझने का मार्ग यहीं से शुरू है।
लॉकडाउन में लघु उद्योगों एवं किसानो को राहत पैकेज दिया है,
विदेश से यात्रियों का बुलाना भी चालू किया है,
प्रवासी श्रमिकों की समस्या का हल नहीं निकल रहा है,
बढ़ रहे हैं, कोरोना रोगी, कोई उपाय नहीं मिल रहा है।
इसके साथ ही जीना है, यह समझ में आ रहा है,
उत्साह बढे, डर हटे, अब प्रयास यही चल रहा है।
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