Wednesday, May 13, 2020

Lockdown 3.0 Day 9-10 May 13, 2020

आज है दसवाँ दिनलॉकडाउन का तृतीय चरण,

भागवत का सप्ताह पारायणहुआ पंचम दिन,
पढ़ रहा हिंदी अनुवाद , एक पारायण में दो दिन। 
प्रथम लॉकडाउन में पढ़ारामचरितमानस को,
द्वितीय में गीता की अद्भुत टीका साधक संजीवनी को। 
तृतीय का उपयोग हो रहा है भागवत पारायण में,
श्री कृष्ण की लीलाओं सेआनंद अंतःकरण में।

दशम स्कंध में प्रभु श्री कृष्ण का लीला चरित्र,
आत्म रूप से सब में स्थित, कृष्ण सभी के मित्र। 
माया रूप पूतना मारी, बवंडर रूप तृणावर्त मारा,
यमलार्जुन वृक्षों से, कुबेर पुत्रों को उद्धारा। 
बछड़े, बगुले और गधे के, रूप में भी मिले असुर,
छोड़ा नहीं किसी को, मारे अघासुर व प्रलम्बासुर,
यमुना जल को शुद्ध किया, कालियनाग के विष से,
कालिय को भी सुरक्षित किया मस्तक पर चरणचिह्न से। 


प्रेम से भरा हुआ अवतार यह, प्रभु का अनुपम चरित्र,
बालक कृष्ण के श्रीदामा आदि, ग्वाले परम मित्र।
माखन चोरी की लीला में, सखा भी साथ निभाते हैं,
चित्तचोर मोहन भक्तों का माखन बाँट कर खाते हैं। 
ब्रजरज खाकर मैया से कहते हैं, माटी नहीं खाई मैंने,
मुँह खोलकर सारी प्रकृति, माँ को दिखला दी कान्हा ने। 

पर परमात्मा को तो देवो का भी दर्प दलन करना था,
इन्द्र और ब्रह्मा को भी सगुण परब्रह्म स्वीकारना था। 
इन्द्र की जगह गोवर्धन की पूजा, किया गिरिराज धारण,
इन्द्र का घमंड तोडा, और गोविन्द नाम किया धारण। 
ब्रह्मा ने ग्वाल, बाल, बछड़े चुरा लिए,
प्रभु ने पुरे साल सारे रूप स्वयं बना लिए। 
ब्रह्मा ने स्तुति की, माना कृष्ण परब्रह्म का अवतार है,
प्रभु कृपा पर दृष्टि रखो,  संसार से, निश्चित बेडा पार है । 

अग्निपान करके, ब्रजवासियों व ग्वालों को सुरक्षित किया,
चीरहरण लीला से, लोक मर्यादा को निश्चित किया। 
अपना स्त्री पुरुष होने का, अभिमान शरीर से ही है,
परमात्मा को पाने के लिए, अहम् से मुक्ति जरुरी है।
मुरली जब बजती है, गोपियों का मन हर लेती है,
वेणु गीत से गोपी बंशी के भाग्य की सराहना करती है।  
ब्राह्मण गर्व करते रह गए, यज्ञपत्नियो का भाग्य जाग्रत हुआ,
उनके चतुर्विध पकवानों से, तृप्त जब परब्रह्म स्वयं हुआ। 

रास पंचाध्यायी, कृष्ण विग्रह भागवत, का ह्रदय स्वरुप है,
यमुना पुलिन पर गोपी गीत, मिलन-विरह, दिव्य, अनूप है। 
अश्वरुपी केशी और व्योमासुर का वध किया कृष्ण-बलराम ने,
अजगर से पिता नन्द को मुक्त किया, कृष्ण ने चरण स्पर्श से।   
शंखचूड़ और अरिष्टासुर का भी उद्धार कर देते हैं,
प्रेमावतार में नन्द यशोदा व ग्वालों को प्रेम से भर देते हैं। 
युगल गीत में गोपियाँ दोनों की शोभा का वर्णन करती है,
अक्रूर लेने आ गए कृष्ण को, ब्रज पर बिजली सी गिरती है। 

कुब्जा से अंगराग, धोबी से वस्त्र प्राप्त करते हैं,
मथुरा में प्रवेश करके भगवान धनुष तोड़ देते हैं। 
आतंकित कंस, कुवलीयापीड़ हाथी को, द्वार पर लगाता है,
चाणूर और मुष्टिक को, कुश्ती हेतु, कृष्ण व राम से लड़वाता है। 
सब व्यर्थ हो जाता है, कृष्ण कर देते है संहार, दुष्ट मामा कंस का,
मिलते हैं वसुदेव देवकी से, उग्रसेन को राजा, बनाते हैं मथुरा का। 
अक्रूर को भेजते हैं हस्तिनापुर, जानने को पांडवों का हाल,
देश में धर्मराज्य स्थापित करने के लिए, कृष्ण की पहली चाल। 

कुब्जा जो बन गई थी सुंदरी, पाती है मात्र विषय सुख श्रीकृष्ण से, 
कृष्ण का दर्शन-स्पर्श अमोघ, क्या चूक हुई भागवतकार से ?
उद्धव परम सखा कृष्ण के, ब्रज जाते हैं दूत बनकर,
भ्रमर गीत सुनाती हैं गोपियाँ, आते हैं भक्त बनकर। 
गोपियाँ विरह में पाती हैं, कृष्ण को हर जगह,
सत्य है - मिलन में आनंद, मधुरतम है विरह। 

कंस का श्वसुर जरासंध करता है सत्रह बार आक्रमण,
आखिर कालयवन भी आया, कृष्ण ने किया रण से पलायन। 
समुद्र के मध्य, द्वारका बसा लेते हैं अपने यदुवंशी स्वजनों के लिए,
विश्वकर्मा बनाते हैं सुधर्मा सभा, आते हैं सभी देव, रिद्धि सिद्धि लिए। 
भगवती लक्ष्मी की अवतार, रुक्मिणी का पत्र पाते हैं श्री भगवान,
कर लाते हैं हरण, होता है विवाह समारोह, द्वारका में महान।  

लॉकडाउन में जब सुना प्रधानमंत्री का सन्देश,
आश्वासन और लॉकडाउन, क्या करेगा देश ?
कैसे खोलें लॉकडाउन, विचार यह चल रहा है,
लगाना आसान, खोलना मुश्किल पड़ रहा है। 
करो हिम्मत, बढ़ो आगे, रखो पूरा विश्वास,
सनातन धर्म का देश यह, कभी न छोड़े आस। 

1 comment:

  1. Superb Poem. If some graphics, images as scene can be put, then while reading definitely one can actually see the leela live. Thank you for the great writing.

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