आज है चौथा दिन, लॉकडाउन का चतुर्थ चरण,
प्रथम लॉकडाउन में पढ़ा, रामचरितमानस को,
द्वितीय में गीता की अद्भुत टीका, साधक संजीवनी को।
तृतीय का, उपयोग हुआ, भागवत पारायण में,
चतुर्थ का, सोलह अक्षर महामंत्र, के जप यज्ञ में।
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
यह सोलह अक्षर महामंत्र इसकी सोलह माला,
जप हेतु एक सौ आठ, मणियों की माला।
मैंने सोचा है, इस जप को, करना है सोलह दिन,
क्योंकि संत तुलसीदास ने दिया है आश्वासन।
भाँय, कुभाँय, अनख, आलसहूँ।
नाम जपत मंगल दिसी दसहूँ।।
लॉकडाउन का कारण और तर्क, अब किसी को समझ नहीं आ रहा है?
गरीब मज़दूर की क़ुर्बानी का ग़म, अब किसी को नहीं हो रहा है ?
अमफान तूफ़ान भी, उड़ीसा व बंगाल में, तबाही मचा गया,
कोरोना से ही दुखी थे, ये कंगाली में आटा गीला कर गया।
अब सब खुल रहा है, पर व्यक्ति खुद डर रहा है,
चौवन दिन में ख़तरा बढ़ा कि घटा, समझ नहीं आ रहा है।
छोड़ो अब, बाक़ी सब व्यर्थ हुआ, बस इतना सीख लो,
दो गज दूरी, है ज़रूरी, कोरोना के साथ रहना सीख लो।
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