आज है छठा दिन, लॉकडाउन का तृतीय चरण,
भागवत का सप्ताह पारायण, हुआ तृतीय दिन,
पढ़ रहा हिंदी अनुवाद , एक पारायण में दो दिन।
प्रथम लॉकडाउन में पढ़ा, रामचरितमानस को,
द्वितीय में गीता की अद्भुत टीका साधक संजीवनी को।
तृतीय का उपयोग हो रहा है भागवत पारायण में,
ईश्वर कृपा से शांति बढ़ती है, अंतःकरण में।
पंचम स्कंध में भरत से, राजा रऊगण,
समझ पाते हैं वास्तविक तत्वज्ञान ,
शरीर में स्थित आत्मा, है शरीर से भिन्न,
भवाटवि में माया के वश, भटकता मानव जन्म।
महर्षि व्यास ने किया विशद वर्णन, नव वर्ष,
सप्तद्वीप, सप्त समुद्र, भूगोल व खगोल का,
नर नारायण की पूजा करता जंबूद्वीप में भारतवर्ष,
मानव के लिए लक्ष्य यहाँ, भक्ति, तत्वज्ञान का।
षष्ठम स्कंध में वर्णन त्वष्टा पुत्र, विश्वरूप के भाई, दैत्य वृत्रासुर का,
जिसके वध के लिए वज्र हेतु, दधीचि ने दान किया अस्थियों का।
युद्ध में जिसके आगे इंद्र भी लज्जित हुआ,
उसे भक्ति से प्राप्त, सर्वश्रेष्ठ परमपद हुआ।
सप्तम स्कंध में वर्णित, दैत्य हिरण्यकश्यप के ताप व ज्ञान का प्रभाव,
त्रिलोकी विजय, प्रकृति अनुकूल, परंतु मन में विष्णु के प्रति वैर भाव।
हिरण्यकश्यप के पुत्र हुए, दैत्य वंश कीर्तिवर्धक, महान भक्त प्रह्लाद,
जिनकी रक्षा के लिए, नरसिंह अवतार,धारण किया रूप विकराल।
भागवत धर्म का विशद वर्णन किया, सभी वर्णों एवं आश्रमों के लिए,
भगवदभक्ति, यम नियम का पालन,दान जप एवं श्रद्धा गृहस्थ के लिए।
लॉकडाउन में मज़दूरों के लिए समस्या ख़त्म होती नहीं,
अब संक्रमित जवानों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही।
कुछ शहर अब काम करने पर ध्यान दे रहे है,
कुछ भारतीय भी विदेश से भारत आ रहे हैं।
अब हमें दूरी के साथ कार्य करना सीखना होगा,
कोरोना ख़त्म जब हो तब हो, साथ जीना होगा।
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