आज 1115 और कुल 13880 भोजन वितरण,
चार दिन गुजरे हैं उन्नीस दिन का द्वितीय चरण।
19 दिन!
अद्भुत ग्रन्थ भगवद्गीता सुनाया युद्धक्षेत्र में, स्वयं भगवान श्री कृष्णा ने अर्जुन को!
वर्तमान में स्वामी रामसुखदास ने लिखा, अनुपम टीका साधक संजीवनी को !!
अर्जुन के रूप में हमारे दुःख का वर्णन है, प्रथम अध्याय अर्जुन विषादयोग में,
अपने को सही ठहराने के लिए, सही दिखते तर्कों को, लाते हम प्रयोग में,
शरीर मानो या स्वयं को आत्मा, करो विवेक का उपयोग,
कर्तव्य का पालन करो, व्यर्थ है चिंता, व्यर्थ है शोक।
मानव प्रकृति का विश्लेषण, अधिकार है मात्र कर्म करने का।
द्वितीय अध्याय सांख्य योग, उपदेश दे रहा ज्ञान एवं विवेक का।
कर्म करना है करने का वेग शांत करने के लिए,
प्राप्त परिस्थिति का सदुपयोग करने के लिए,
कर्म करने में, कुछ भी अपने लिए नहीं, यही मूल सिद्धांत है।
तृतीय अध्याय कर्मयोग कहता, कर्म ना करे वो भ्रांत है।
चतुर्थ अध्याय ज्ञानकर्मसन्यासयोग, करता यह स्पष्ट है।
जो आनंद पूर्वक कर्तव्य करे, कभी नहीं होता भ्रष्ट है।
कर्मयोग स्वतंत्र साधन, कर्म से निवृत्ति के लिए, कर्म का मार्ग है।
इससे कालेन, अवश्य ही प्राप्त होता तत्व, गृहस्थ का यही मार्ग है।
लॉक डाउन 2.0 उन्नीस दिन में हमें कुछ बेहतर दे जाए।
इसके लिए आवश्यक है, हमारा पूर्ण सहयोग हो जाए।
मुक्त है जो गाँव, शहर और जिले कोरोना से,
रहें मुक्त अब अगले माह ये सभी कोरोना से।
आरोग्य सेतु का करें उपयोग, ना दें वायरस को आमंत्रण,
इसे बाहर रखें शहर की सीमा से, ऐसी सुरक्षा से लड़ें यह रण।
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