21 दिन!
आज उन्नीसवाँ दिन है !
रामचरितमानस का अठाईसवाँ मासपारायण।
राम आए अयोध्या में, उत्सव त्रैलोक्य मना रहा,
वशिष्ठ के द्वारा राम का राज्याभिषेक हो रहा।
अनेक मुनि, देवगण, ब्रह्मा और शिव शंकर स्वयं,
आते हैं राम-दर्शन को, जय राम रमा रमनं शमनं।
संत कौन? जब राम हनुमान, भरत को बतलाते हैं!
चंदन और कुल्हाड़ी के उदाहरण से समझाते हैं।
चंदन काटने वाले लोहे को अपनी सुगंध दे देता है,
लोहा तपता है आग में, चंदन देवों को चढ़ता है।
राम राज्य में सब सुखी, संत समान हो जाते हैं,
दैविक दैहिक भोतिक ताप, से मुक्त हो जाते हैं।
लॉक इन या लॉक डाउन, कुछ भी हो, ऐसा हो,
कोरोना हमसे डरे, उसे फैलने की जगह ना हो,
अमेरिका, इटली, स्पेन, फ़्रांस, चीन और ईरान,
योरोप के अनेक देश, क्या सब हार लेंगे मान ?
जीतेंगे हम कोरोना से, मानव का यही इतिहास,
हर परिस्थिति से आगे आया, कभी न खोई आस।
सेवा, सामाजिक दूरी, सहानुभूति एवं विश्वास,
रहो उत्साहित, व्यस्त निरंतर, ना हो कभी निराश।
No comments:
Post a Comment