21 दिन!
आज तेरहवाँ दिन है !
रामचरितमानस का बाईसवाँ मासपारायण।
अरण्यकांड में लीला कर रहे हैं प्रभु राम !
अत्रि, शरभंग, सुतीक्ष्ण, अगस्त्य आदि ऋषि पाते हैं कृपा श्री राम की,
विराध, खर, दूषण व त्रिशिरा आदि राक्षस भी पाते हैं गति परम धाम की,
शूर्पणखा नाक कान विहीन हो उकसा देती है रावण को,
मारीच माया मृग बनता है, रावण हर ले जाता है सीता को।
राम तो बचपन से ही कर रहे हैं, अहिल्या जैसे वंचितों को प्रतिष्ठित,
उनके प्रेम-दर्शन हेतु माँ शबरी ही नहीं, सुग्रीव हनुमान भी प्रतीक्षित।
पहुँचे पंपासरोवर, नारद का संशय कर रहे दूर,
यदि भक्त रहे राम पर निर्भर,तो कृपा रहे भरपूर।
लॉक डाउन में रहते हुए यदि लगता है, काम नहीं,
बन जाओ स्वयं सेवक, काम नहीं सेवा ही सही।
अपने सामर्थ्य का उपयोग करो,
नव कौशल का विकास करो,
नव उत्साह का संचार करो,
जीवन जियो, मत सोच करो।
सब कुछ करने के लिए चाहिए विश्वास,
जिसे कहे प्रभु का विश्वास, वही आत्मविश्वास।
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