21 दिन!
आज नवाँ दिन है !
रामचरितमानस का सत्रहवाँ व अठारहवाँ मासपारायण।
राम चले जा रहे हैं वन में, लक्ष्मण सिय समेत,
आनंदित हो वाल्मीकि, बताते प्रभु को निकेत।
चित्रकूट में राम, करने लगे निवास,
उधर सुमंत्र पहुँच गए, अवध रनिवास।
दशरथ सब हाल सुनकर, तज देते हैं शरीर,
भारत शत्रुघ्न आ गए, पूछे - कहाँ रघुवीर ?
दशरथ के विधि विधान के, पश्चात् राज सभा में,
हो रहा विचार अब , देर ना करें राज्याभिषेक में ।
वशिष्ठ और कौशल्या,सब भरत को समझा रहे,
पूर्ण करो पिता की आज्ञा, धर्म यह बतला रहे।
लॉक डाउन के मध्य, तबलिगी जमात और धर्म,
बढ़ रहे कोरोना के मरीज़, गुनाह कर रहे बेशर्म,
देशवासी जो, स्वास्थ्य रक्षक पर हमला करते हैं,
इन देशद्रोहियों का रक्षण, राजनीतिज्ञ करते है !
अब बहुत हुआ, निश्चित है समय जागरण का,
बस जीत हो परिणाम, कोरोना से हमारे रण का !
या अल्लाह, या मौला, या कहो जय श्री राम,
करो विश्वास, हो कृपा, पूर्ण होंगे सारे काम।
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