आज 1205 और कुल 22885 भोजन वितरण,
बारह दिन गुजरे हैं उन्नीस दिन का द्वितीय चरण।
19 दिन!
अद्भुत ग्रन्थ भगवद्गीता सुनाया युद्धक्षेत्र में, स्वयं भगवान श्री कृष्णा ने अर्जुन को!
वर्तमान में स्वामी रामसुखदास ने लिखा, अनुपम टीका साधक संजीवनी को !!
नवम अध्याय राजविद्याराजगुह्ययोग में, बढ़ता हैं भक्तियोग का प्रसंग,
भक्त प्रिय भगवान को, अतः यह उनकी मस्ती, उनकी तरंग।
मेरा हो, मुझमें मन लगा, सब कुछ मुझको कर दे अर्पण,
मेरे भक्त को पूर्ण बनाता मैं, और करता योगक्षेम वहन।
दशम अध्याय विभूतियोग में, अपनी विभूति अर्जुन को सुनाते हैं,
जो कुछ तेज या विशेषता संसार में, प्रभु उसे अपनी बतलाते हैं।
एकादश अध्याय विश्वरूप्दर्शनयोग, में विराट रूप दिखाते वासुदेव,
अनंत ब्रह्मांड जिनके शरीर के एक देश में, ऐसे लोकमहेश्वर देवदेव।
द्वादश अध्याय भक्तियोग अद्भुत कृपा है कृष्ण की यहाँ,
सर्वगुह्यतम भक्ति का विशद वर्णन, गोविंद ने किया जहाँ।
भक्त होता राग द्वेष से मुक्त, निर्वैर, निर्मम, निरहंकार,
सुख दुःख, हर्ष शोक से मुक्त, शत्रु मित्र पर करुणा अपार।
लॉक डाउन में ढील देने के लिए, सभी दुकाने अब खोल रहे हैं।
लेकिन क्या करना उचित या अनुचित, असमंजस में जी रहे हैं।
प्लाज़्मा थेरेपी, वैक्सीन की खोज का द्वितीय चरण आशा जगाते हैं।
बढ़ती मौतें या संक्रमण के आँकड़े देख, हम निराशा से भर जाते हैं।
सेवा, सामाजिक दूरी, सहानुभूति एवं विश्वास,
रहो उत्साहित, व्यस्त निरंतर, ना हो कभी निराश।
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