21 दिन!
आज बीसवाँ दिन है !
रामचरितमानस का उनतीसवाँ मासपारायण।
उत्तरकांड में वर्णित, गरुड़ काकभुशुंड़ी कथा,
रामकृपा से काक जैसा पक्षी, है सिद्ध मुनि जथा।
विष्णु के वाहन,पक्षिराज गरुड़, भ्रमित हो जाते हैं,
सगुण लीला है अद्भुत, ज्ञानी विस्मित हो जाते हैं।
कलियुग और सतयुग का,वर्णन संक्षिप्त किया है,
तुलसीदास जी ने, गागर में सागर भर दिया है।
लॉक डाउन में कोरोना की सीमा सील करनी थी,
राजस्थान ने भीलवाड़ा में मिसाल पेश कर दी थी,
हाय ! जयपुर के लिए दैव क्यों विपरीत हो रहा ?
कुआरंटिन करने के लिए, रामगंज को फैला रहा,
क्यों बाहर कॉलोनी में ले जा रहे हो, संदिग्धों को,
जलेब चौक,पुरानी विधानसभा में रखो सब को।
शहर के भीतर भी होटल और विद्यालय अनेक हैं,
सील सीमा से, बाहर न निकालो, नियम एक है।
अभी भी हम सामाजिक संक्रमण से कुछ दूर हैं,
लेकिन शीघ्र ही वहाँ होने की संभावना भरपूर है।
एक और दौर लॉक डाउन का, इसे धीरे कर देगा,
यदि इसे आना भी है, देश तैयारी तो कर लेगा।
सेवा, सामाजिक दूरी, सहानुभूति एवं विश्वास,
रहो उत्साहित, व्यस्त निरंतर, ना हो कभी निराश।
No comments:
Post a Comment