21 दिन!
आज अठारहवाँ दिन है !
रामचरितमानस का सत्ताइसवाँ मासपारायण।
आख़िर रावण लड़ रहा, कर अपनी माया का विस्तार,
कभी रचता रावण बहुत से, या राम-लक्ष्मण, हनुमान अपार।
सारी माया, भ्रम, संदेह, प्रभु राम एक बाण से मिटा देते हैं,
विभीषण प्रभु की इच्छा जान, रावण मृत्यु का भेद बता देते हैं।
इकतीस बाण अब एक साथ छोड़ देते हैं श्रीराम,
नाभि से अमृत, दस शीश, बीस भुज, हरे प्राण।
पवित्रता सिद्धि हेतु, सीता दे रही है अग्नि परीक्षा,
कैसी यह लीला प्रभु की, क्या है दैव की इच्छा ?
धरती की पुत्री सीता जन्मी पंच तत्व से,
समुद्र से प्रकट हुई लक्ष्मी के रूप में,
लीला के लिए वन में समा गई थी अग्नि में,
अग्नि परीक्षा से जन्मी पुनः अग्नि के मध्य से।
वरना तो रावण उनके तेज से ही भस्म हो जाता,
अवतारी प्रभु की लीला का अवसर कब आता ?
लॉक डाउन पर संशय आज भी बरकरार रहा,
महाराष्ट्र, पंजाब, ओड़िशा में 30 अप्रेल हुआ।
दिल्ली, प० बंगाल व राजस्थान तथा तेलंगाना,
चाहते हैं केंद्र से हो घोषणा, सबका कहना माना।
प्रधानमंत्री भी शायद ऐसा ही चाहते हैं,
लेकिन उद्योग गति पकड़े, ऐसा भी चाहते हैं।
सेवा, सामाजिक दूरी, सहानुभूति एवं विश्वास,
रहो उत्साहित, व्यस्त निरंतर, ना हो कभी निराश।
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