21 दिन!
आज पंद्रहवाँ दिन है !
रामचरितमानस का चोईसवाँ मासपारायण।
सुदरकांड अति सुंदर वर्णन है, श्री हनुमान का,
आज हनुमान जयंती भी, संयोग है विधान का।
सागर में मिले मैनाक, सुरसा और बिम्ब आहारी राक्षसी,
और लंका के द्वार पर, मिल गयी राक्षसी लंकिनी।
और राक्षसों की नगरी लंका में, मिले रामभक्त विभीषण,
अशोक वाटिका में प्रवेश की, युक्ति बता देते हैं विभीषण।
अशोक वाटिका में हनुमान, सीता से मिलते हैं ,
रक्षकों के साथ साथ, अक्षय को मार देते हैं।
मेघनाद के ब्रह्मपाश में हनुमान बंध जाते हैं,
पूँछ में लगाई आग से, लंका को जला देते हैं।
राम समुद्र के ऊपर पुल बनाना चाहते हैं,
विभीषण लंका छोड़, राम की शरण आ जाते है।
लॉक डाउन और बढ़ेगा, ऐसा सबको लगता है,
लेकिन हल कब निकलेगा, कोई नहीं जानता है।
ऐसे भ्रम और संशय में जो विश्वास रखता है,
इहलोक और परलोक में काम उसी का बनता है।
सेवा, सामाजिक दूरी, सहानुभूति एवं विश्वास,
रहो उत्साहित, व्यस्त निरंतर, ना हो कभी निराश।
No comments:
Post a Comment